एशिया के सबसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव उन्मेष का शानदार समापन

एशिया के सबसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव उन्मेष का शानदार समापन

अंतिम दिन 23 कार्यक्रमों में 160 साहित्यकारों ने लिया भाग

भोपाल आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर साहित्य को जन जन तक पहुंचाने, साहित्य सृजन और संरक्षण करने की प्रतिज्ञा के साथ एशिया के सबसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव उन्मेष का शानदार समापन हुआ। अंतिम दिन आदिवासी कवि सम्मेलन के साथ भारत की सांस्कृतिक विरासत, नारीवाद  साहित्य और साहित्य के मूल्य ,भारत के महाकाव्य ,भारत की सौम्य शक्ति , स्वतंत्रता आंदोलन में पुस्तकों  की भूमिका और भारतीय  भाषाओं में प्रकाशन पर विचार विमर्श हुआ। सर्वश्री एस एल भैरप्पा, सुरजीत पातर, विश्वास पाटिल,प्रयाग शुक्ल, के. शिवा रेड्डी, आलोक भल्ला, वसंत निरगुने,रमेश आर्य, मदन मोहन सोरेन और महादेव टोप्पो आदि ने अपने विचार रखें।

स्त्रियों के लिए समान दृष्टिकोण  जरूरी – नमिता गोखले

नारीवाद और साहित्य विषय पर महत्वपूर्ण सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रख्यात लेखिका और  प्रकाशक नमिता गोखले ने कहा कि सही मायने में नारीवाद का मतलब सभी के लिए समान दृष्टि होना है । उन्होंने प्राचीन  काल से महिलाओं द्वारा लिखे  साहित्य की चर्चा करते हुए कहा कि लेखन की परंपरा आज भी जारी है। वक्ता सी मृणालिनी ने नारी साहित्य की  उपयोगिता को रेखांकित करते हुए कहा कि इस साहित्य ने नारी स्वतंत्रता के नए द्वार खोले हैं। लीना चंदोरकर ने कहा कि जिस दिन नारी अपने जीवन से जुड़े महत्त्वपूर्ण निर्णय स्वयं ले सकेगी, वह तभी आजाद होगी।  प्रीति शिनॉय ने महिलाओं के लिए समान वेतन और आर्थिक समानता पर बल दिया। सोनोर  झा ने कहा कि आर्थिक समानता की शुरुआत हमे अपने घरों से ही करनी होगी।

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *