इश्क का सच (कविता)

इश्क का सच (कविता)

जिनसे मोहब्बत नहीं, उनसे निभाए भी तो कैसे,नादान उसके दिल को समझाएं भी तो कैसे?  जान देता है…
शिव आराधना

शिव आराधना

दोहा (गीतिका ,गजल,सजल,पूर्णिका,)या छन्दाचार्य जो भी उचित इस विधा की  नामकरण करें।किसी समूह में यह सजल है,कहीं,गीतिका कहते…
स्वर्ग नरक

स्वर्ग नरक

एक नगर में एक वैश्या रहती थी। उसी नगर में पुजारी जी भी रहते थे। वह महिला जब…
गुलनार (लघुकथा)

गुलनार (लघुकथा)

राजा ने जैसे ही न्यूज की हेडलाइन पढ़ी _"शिवपुर बना सबसे खूबसूरत गांव,उसे मिला सबसे रंगीन गांव का खिताब"राजा का 10साल पहले किया गया अनूठा प्रयास आज रंग ला रहा है।अभी तक उन्होंने 10000से अधिक गुलनार को पूरे पंचायत में लगाने का कीर्तिमान रचा है।ये पूरा पंचायत फूलों से ऐसे लदा पड़ा है, की अगर इसे हम ’गुलनार नगर’से बुलाएं तो उचित ही होगा।
बदलाव

बदलाव

राधा,नेहा,खुशबू और मोहन के साथ बहुत से लोग संस्थान में आर्ट एंड क्राफ्ट की ट्रेनिंग ले रहे होते हैं।तभी अचानक जोरज़ोर से चीखनेचिल्लाने की आवाज आने लगती है।सभी आवाज की ओर दौड़ जाते है।
विकास की प्रीति

विकास की प्रीति

2007/6/25तिथि को बना था, अद्भुत ग्रह नक्षत्रों का संयोग। जब पधारे थे हमारे आंगन, सर्वगुण संपन्न अतिथि विशेष।
सज़ा (लघुकथा)

सज़ा (लघुकथा)

कौओं कि कांव-कांव सड़कों पर बढ़ी हलचल और किवाड़ से आती रोशनी से जब मनु की आंखें खुली तो मनु को आश्चर्य हुआ। अभी तक तो मां नहा_ धोकर अपने चंद्रशेखर महादेव को जल चढ़ाकर रसोई में जुट जाती थीं।और फिर पकवानों की खुशबू से उसे उठना पड़ता था।मनु दौड़ते हुए मां के कमरे में गया। मां बिस्तर में पड़ी कराह रही थी। उन्हें तेज ज्वर था।