वो सावन का पावन दिन,
जब तेरे पांव धरा पर आएं।
अंबर झूम उठा मस्ती में,
देव,गंधर्व भी थे हर्षाए।
पुलकित हुआ रोम_ रोम मेरा,
पापा मन ही मन थे मुस्काएं।
भईया की तो खुशी न पूछो,
अब राखी वो भी बंधवाए।
तेरी नन्ही किलक सुहानी,
तु दादादादी की रानी। तेरी सूरत देखदेख के,
तेरी नानी खिल_खिल जाए।
पार्वती सी सुंदर सूरत,
तू शिव जी का वरदान।
हो विनायक सी तेरी बुद्धि,
सारी दुनियां शीष नवाएं।
तेरे आने से जीवन में,
आई है एक नई बहार।
गुंजित हुआ है मधुबन मेरा,
नव प्राण संचार हो आए।
तेरा प्यारा नेह_ निमंत्रण,
देते हैं हम सबको आज।
दें आशीष सभी हृदय से,
मेरी गुड़ियां नाम कमाएं।
रजनी प्रभा