ग़ज़ल

हद नदी की थी , घर बना बैठे ।बाढ़ में अपना , सब डुबा बैठे ।। रात सपने…

पिता प्रेम

पिता प्रेम - लगाव भले ही पिता का , मुखर नहीं होता है।संतानों को कष्ट यदि हो ,…

तुमसे मिलकर

तुमसे मिलकर मेरी तलाश पूरी हुई,सनम! मेरे दिल की प्यास पूरी हुई। भटकता रहता था सुकून पाने को,तुम्हें…

जिंदगी है तू

जिंदगी हमें मिली, जी भर के जीने के लिए,जिंदगी में तू नहीं, तो जिंदगी किस काम की। शान…