इबादत

इबादत

न वो इकरार करती है,न वो इनकार करती है।निगाहें भले फेर लेती है,मगर वो प्यार करती है। उसे…
शहाब

शहाब

’शहाब’ ने बिखेरा अपना नूर, तो रौशन हुआ जोड़ा,फिर रुखसत हुआ जालिम, किसी और के डेरा। अपनी रंगत…
ग़ज़ल – बृजमोहन

ग़ज़ल – बृजमोहन

जितने  सच्चे हैं  हम लोग ।उतने  झूठे  हैं हम  लोग ।। मेरा    तेरा    करने  में ।कितना…
ग़ज़ल

ग़ज़ल

ये  दर्द  दिल में जगा न होता अगर वो मुझसे ज़ुदा न होता।