मैं कलाकार हूं

मैं,कलाकार हूंखुद का हूं आइना,खुद से हूं रूबरूखुद के ही रंग भरूंमैं तो साकार हूंमैं कलाकार हूं खेलता…

गजल -हिमांशु पाठक

रात भर करवटें, वो बदलती रही।सिलवटें चादरें उसकी कहती रहीं।। यादों में,रात में उसकी मैं ही मैं था।हिचकियां,रातभर,…

अनाड़ी-“हलधर”

अनाड़ी ने कभी जानी नहीं सीरत मुहब्बत की ।कबाड़ी क्या लगाएगा सही कीमत इमारत की । हमारे पास…