अरकान-“एच. एस. चाहिल”

मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन, मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुनजो बहार बिन न फ़िज़ाॅं सजे, तो करार कैसे हो प्यार बिन।ये सिखा रही अब़…

गजल

किसी के जाने से सांसों का कारोबार नहीं रुकता।हम भले ही रुक जाएं, मगर ये संसार नहीं रुकता।…

गजल

राह प्रेम की हो तो, फूल बिछा दीजिए।प्यार की नज़र पर पर्दा लगा दीजिए।। पाली नफरत को नजर…