ग़ज़ल

ग़ज़ल

ये  दर्द  दिल में जगा न होता अगर वो मुझसे ज़ुदा न होता।
अच्छा लगता है

अच्छा लगता है

सुबह-सुबह घर के कामों में व्यस्त रहता मुझे देखकर मेरे लिए तुम्हारा एक कप चाय बना देना बड़ा अच्छा लगता है!
समय की मांग (श्रमिक)

समय की मांग (श्रमिक)

टूटता रहा बदन उसने उफ़ तलक न की,, उसकी रगो में बहता था ईमानदारी का लहू,, दो जून की रोटी बस उसकी ख्वाइश थी,, वो गुलाब भी बन सकता था मगर बना केवल गेहूं,,
नवनिर्माण है (सृष्टि के निर्माण दिवस पर विशेष)

नवनिर्माण है (सृष्टि के निर्माण दिवस पर विशेष)

जितनी सिद्दत से रूठी महबूबा को मनाने को महंगे उपहार लाते हो,, उससे आधी सिद्दत से भी अगर एक भी फुटपाथ पे सोनेवालों के लिय छत बनाओ,,, तो नवनिर्माण संभव है,,,