चाहती गर्दिश हमेशा अहमियत उसको मिले। ” एच. एस. चाहिल। बिलासपुर।”

चाहती गर्दिश हमेशा अहमियत उसको मिले।हम न देते अहमियत तो ये नहीं हमको मिले। क्यों सुनाएं गर्दिशों की…

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा भारतीय हिंदी नववर्ष स्वरचित कृति: शरीफ़ खान,

भारत धरा बसंती बयार युक्त होकर,पूरा देश एक सूत्र है इस रोज़।अवनि और अंबर हर्षित होकर, बह रही…

सूरज देख लिया हो जिसने, उसे न सोहें चाँद-सितारे। —- डाॅ०अनिल गहलौत

सूरज देख लिया हो जिसने, उसे न सोहें चाँद-सितारे।राम-रसायन के आगे हैं, फीके अन्य रसायन सारे।। छोड़-छाड़ सब…

मैं कलाकार हूं

मैं,कलाकार हूंखुद का हूं आइना,खुद से हूं रूबरूखुद के ही रंग भरूंमैं तो साकार हूंमैं कलाकार हूं खेलता…