चाँद घनघोर घन का निवाला हुआ। ‌__”डाॅ०अनिल गहलौत”

चाँद घनघोर घन का निवाला हुआ। ‌
चाँदनी रात का गात काला हुआ।।

आवरण में छिपे शब्द थे अनखुले।
वाक्य के अर्थ पर एक ताला हुआ।।

मूसलाधार वर्षा तिमिर की हुई।
यह अजब आज कैसा उजाला हुआ??

आचरण पारदर्शी न भाया हमें।
आज प्यारा सभी को घुटाला हुआ।।

शोर में दब ग‌ई गूँज, गूँजी नहीं।
प्रश्न था आम-जन का उछाला हुआ।।

क्षीर-सागर मथा जाँच आयोग ने।
सत्य प्रत्यक्ष है पूर्व ढाला हुआ।।
—-डाॅ०अनिल गहलौत

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