कल का दिन तो हम सबके लिये अत्यंत हर्ष और गौरव का रहा। चंद्रयान तीन की चंद्रमा पर सफल लैंडिंग ने एक नव इतिहास रच दिया। चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर विश्व मे अबतक कोई न पहुँच सका था विक्रम की लैंडिंग के साथ तिरँगे का फहराना बड़े गर्व का पल रहा। अत्यंत ही भाग्यशाली हैं हम सब कि इस ऐतिहासिक सफलता के साक्षी बने। बड़े ही रोमांचक रहे वो पल जब उल्टी गिनती शुरू हुई और चन्द्रतल से क्रमशः घटती दूरी मीटर में बताई जा रही थी। टी वी के सामने बैठे हम साँस रोके उस पल का इंतज़ार करते रहे,जिसकी तैयारियाँ हमारे वैज्ञानिक वर्षों से करते रहे। हमारे ही तरह इसरो की पूरी टीम और माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी भी टी वी पर नज़रें लगाये रहे । हमारे कुछ देशवासी तो चन्द्र देव की पूजा आराधना प्रार्थना में संलग्न रहे। अंततः शाम 6 बजकर 5 मिनट पर वह रोमांचक पल आया जब चंद्रयान मिशन तीन से विक्रम की लैंडिंग हुई और पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ गई। तालियों की गड़गड़ाहट के साथ हम सबने इस जीत का अभिनन्दन किया। हर्षातिरेक में कई आँखों में अश्रु थे। कई खुशी से उछल पड़े। देश के कोने कोने में खुशी की लहर दौड़ गई। देश ही नहीं विश्व कई स्थानों पर इस सफलता पर जश्न की ख़बरें हमने देखीं। अहा.. आनन्द आ गया। मान.मोदी जी के शब्द “चंदा मामा नहीं दूर कर के, हो जायेंगे अब टूर के।” हलके से विनोद के साथ संभावनाओं का समंदर दिखा गया। न जाने कवि की कल्पनाओं का चाँद कैसा हो ? आम जनों की बधाई शुभकामनाएँ, रचनाकारों की काव्य अभिव्यक्तियाँ और चित्रकारों के चित्र मीडिया पर छाने लगे। हम गाने लगे सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा।चल रहा है आज भी बधाई का यह सिलसिला…। मेरी ओर से भी इस अनुक्रम में समर्पित चंद शब्द सुमन..
आज चाँद से ज़्यादा, भारत भाल चमक रहा है।
विश्वपटल इसका चेहरा अलग ही दमक रहा है।
23 अगस्त सन 23 को इतिहास रचाया भारत ने
चंद्रयान तीन ने तिरंगा फहराया दक्षिणी चन्द्रतल में।
देशवासियों को बधाई,हर्षित गर्वित है जन जन।
इसरो के वैज्ञानिकों के,श्रम लगन तप को नमन।
🇮🇳🇮🇳🙏अभिनन्दन है अभिनन्दन🙏🇮🇳🇮🇳
इस सफलता के पीछे हमारे वैज्ञानिकों के वर्षों के श्रम तप संघर्ष की कहानी है। पिछली असफलता से सीख लेकर आगे बढ़ने की प्रेरणा है। सबसे अहम बात चंद्रयान अपोलो -11 की सफलता ही पहली सोपान है,जिसके आगे हम बढ़ते रहे हैं। अभी तो और आगे जाना है,सितारों के आगे नयी दुनिया बसाना है। इस क्रम में यदि हम वरिष्ठ अंतरिक्ष वैज्ञानिक नाम्बी नारायण जी को याद न करें तो,ये सरासर बेमानी है। उन्होंने इस मिशन के लिये क्या क्या किया…,क्या क्या सहा… एक लंबी कहानी है। रशिया से मदद ली, वहाँ वर्षों रहकर सीखा ,तीन इंजिन टुकड़ों में लाये। नासा के करोड़ों का ऑफ़र छोड़, परिवार ने कई कष्ट उठाये। विडम्बना… वे देशद्रोही कहलाये। जेल में तीन डिग्री की यातना भी झेली और चार वर्ष कारा में बिताये। कारण सिर्फ़ और सिर्फ़ मिशन की सफलता का जुनून था। अंततः सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले ने उन्हें बेदाग़ माना,लेकिन क्या…उनके दर्द,सही हुई ज़िल्लत को महसूस कर सकेगा ज़माना ! यदि न देखी हो तो आर.राघवन द्वारा निर्मित, निर्देशित फ़िल्म रॉकेट्री(Rocketry) अवश्य देखिये।
सन तेईस तारीख़ तेईस, आज हो गई ख़ास।
चंद्रयान तीन की सफलता ने रचा नया इतिहास।
झूम रहे छोटे बड़े, हर चेहरे पर मुस्कान।
हर्षित गर्वित सब कहें, भारत देश महान।
🙏किरण वैद्य🙏