क्षणिकाएं

क्षणिकाएं

क्षणिकाएं

     (1)

किसी गुफा में नहीं,
दुनिया में रहता हूं।
नेतृत्व करता हूं..
हर उस किसी का –
जो ‘खुश’ रहता है।।

      (2)

बिजली कौंधी,
राह सूझी।
‘धन्य’ हुआ मैं !
यह जानकर…
ऊपर बैठा है कोई,
राह दिखानेवाला।।
अक्षय राज शर्मा

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