विपदा की घनघोर घटाएं, छट गई देखो आज।
अवध में श्री राम पधारें,ले सीता,लक्ष्मण साथ।।
लोगों ने है दिए जलाए,छाया चहुओर उल्लास।
मुक्तिनाथ को सभी निहारे, तारण की ले आश।।
मिटा तम को इस सृष्टि से,पल्लवित होगा प्रकाश।
रावण रूपी घोर घना,आज हठी आमावास।।
ईश्या,द्वेष,क्लेश,दुख,सर्व संकट का हो नाश।
दिया अध्यात्म रूप में,दिला रहा अपनत्व का एहसास।।
तन मन,धरा, व्यवहार को, करले निर्मल और साफ।
आयेंगी स्वयं मां लक्ष्मी,ले कर सुख समृद्धि साथ।।
प्रिय मास विष्णु का ये,नाग, तुलसी पूजन खास।
देव गण पृथ्वी पधारें,ऐसा पुणित पावन ये मधुमास।।
व्यस्त भरें इस जीवन का, प्रेम ही खोले राज।
मेवे मिठाई साथ ले,अपनों से मिलेंगे सभी आज।।
दिवाली दीपों की होली,करती खुशियों का आगाज।
विरह में व्याकुल अशांत मन,मिलते अपनों से हैं आज।।