देवनागरी का एक-एक वर्ण ब्रह्म है।
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देवनागरी का एक-एक वर्ण ब्रह्म है।

देवनागरी का एक-एक वर्ण ब्रह्म है।
डॉ. रामा तक्षक
ऊर्जा सर्वत्र व्याप्त है तथा देवनागरी लिपि का प्रत्येक वर्ण ऊर्जावान है । नागरी लिपि का प्रत्येक वर्ण सजगता की सीढ़ी है । ओम का उच्चारण एक ध्वनि पुंज है । अतः देवनागरी का एक-एक वर्ण ब्रह्म है । इस आशय का प्रतिपादन डॉ. रामा तक्षक, साझा संसार, नीदरलैंड्स ने किया । साझा संसार, नीदरलैंड्स के तत्वावधान शनिवार,12 अगस्त,2023 को “देवनागरी लिपि: ध्वनि-उच्चारण, लिप्यंकन और सजगता” विषय पर आयोजित आभासी अंतरराष्ट्रीय गोष्ठी में बीज वक्ता के रूप में वे अपना उद्बोधन दे रहे थे। गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ. मीरा गौतम, चंडीगढ़, पंजाब ने की । डॉ रामा तक्षक ने आगे कहा कि नागरी लिपि का सृजन ऐसे मनीषियों ने किया है, जिन्हें जीवन की ऊर्जा का आत्मबोध रहा । विज्ञान जीवन दर्शन की सीढ़ी है । नागरी लिपि का प्रत्येक वर्ण सजगता की सीढ़ी है । उन्होंने यह भी कहा कि कंप्यूटर की गणना ऋग्वेद के आधार पर हुई है । अतः लिपि एक साधना है । नागरी के वर्ण मंत्र जैसे हैं । विशिष्ट अतिथि डॉ सुनीता थत्ते, कोलंबिया ने कहा कि वर्ण अविनाशी है, जो ब्रह्मांड में गूंजते हैं | नागरी वर्णमाला की उत्पत्ति की कथा बड़ी रोचक है| भगवान शंकर के डमरू से नागरी वर्णमाला की उत्पत्ति हुई हैं | क्योंकि डमरु को 14 बार बजाने से 14 सूत्र निकलते हैं | यह 14 सूत्र हमारी सभी भाषाओं के मूल हैं | देवनागरी लिपि की वर्णमाला चमत्कृत है | उसमें एक-एक वर्ण का उच्चारण निश्चित है | नागरी में स्वर स्वतंत्र रूप से उच्चरित होते हैं | व्यंजन पराश्रित होते हैं | जैसे क् + अ= क | अंतस्थ वर्ण य, र, ल, व स्वर तथा व्यंजन के मध्य में हैं | इनमें स्वर और व्यंजन दोनों सम्मिलित हैं | ऊष्म और महाप्राण ध्वनियों के उच्चारण में समय लगता है | ऊष्म व्यंजनों के उच्चारण में ऊर्जा अधिक मात्रा में खत्म होती हैं | मुख्य अतिथि प्राचार्य डॉ शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख, पुणे, महाराष्ट्र ने व्यक्त किया कि देवनागरी लिपि अन्य प्रचलित लिपियों की तुलना में अत्यधिक वैज्ञानिक और समृद्ध है | उच्चारण की दृष्टि से भी अत्यंत सरल व सुगम है | देवनागरी वर्णमाला के प्रत्येक वर्ण से मनुष्य के शरीर पर विशिष्ट प्रभाव पड़ता है | लिप्यंकन और लिप्यंतरण की दृष्टि से भी देवनागरी उपयुक्त लिपि है | देवनागरी के मानक रूप को अपनाने में आज सावधानी बरतनी चाहिए | केंद्रीय हिंदी निदेशालय, शिक्षा मंत्रालय ,भारत सरकार द्वारा प्रकाशित पुस्तिका के आधार पर मानक रूपों को प्रयोग में लाना चाहिए | वर्तमान समय में हिंदी भाषा के लेखन में देवनागरी लिपि के स्थान पर रोमन लिपि अपना स्थान बनाती जा रही है | इस प्रकार की लेखन शैली से देवनागरी के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह उपस्थित होने लगा है | डॉ मीरा गौतम, चंडीगढ़, पंजाब ने अध्यक्षीय समापन में कहा कि देवनागरी लिपि ध्वनि-उच्चारण, लिप्यंकन और सजगता ये सभी एक दूसरे पर अन्योन्योश्रित है | भाषा के बाद लिपि अस्तित्व में आयी | बाएं से दाएं लिखी जाने वाली देवनागरी लिपि के व्यापक प्रचार-प्रसार वह विकास के लिए कार्यकर्ताओं में नागरी के प्रति रुचि एवं प्रेम का भाव हो | देवनागरी अक्षरात्मक लिपि होने पर भी कहीं-कहीं वह वर्णिक हो जाती है | हिंदी देवनागरी और संस्कृत देवनागरी की वर्ण व्यवस्था अलग-अलग है | नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली के महामंत्री डॉ हरिसिंह पाल ने नागरी लिपि परिषद की गतिविधियों पर संक्षिप्त में प्रकाश डालते हुए कहा कि भाषा को बचाने का कार्य केवल लिपि ही कर सकती है | गोष्ठी का मंच संचालन करते हुए डॉ शोभा प्रजापति,इंदौर, मध्य प्रदेश ने कहा कि, नागरी लिपि अपनी वैज्ञानिकता सिद्ध करने में सक्षम है | इस अंतरराष्ट्रीय आभासी गोष्ठी में डॉ. सरोजिनी प्रीतम, डॉ मुक्ता कान्हा कौशिक, श्रीमती अपराजिता शर्मा, रतिराम गढेवाल, रायपुर, छत्तीसगढ़ ; फरहत उन्नीसा, विदिशा, मध्य प्रदेश; डॉ हरिराम पंसारी, भुवनेश्वर, उड़ीसा ; डॉ. सैफुल इस्लाम, असम; श्रीमती रजनी प्रभा, मुजफ्फरपुर, बिहार ; डॉ बी एल आच्छा, चेन्नई, तमिल नाडु ; प्रा. मधु भंभानी, नागपुर, महाराष्ट्र ; डॉ रामहित यादव, डॉ. पूर्णिमा पांडे, नवी मुंबई ; श्रीमती उपमा आर्य, लखनऊ;डॉ नजमा मलेक, नवसारी, गुजरात सहित अनेक गणमान्यों की गरिमामयी उपस्थिति रही | गोष्ठी के संयोजक डॉ. रामा तक्षक, साझा संसार, नीदरलैंड्स ने सभी के प्रति आभार प्रदर्शित किए।

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