दोस्ती – डॉ विनोद कुमार शकुचंद्र

दोस्ती – डॉ विनोद कुमार शकुचंद्र

दोस्ती
एक एहसास है
जो सिर्फ एक्सउनको होता है
जिनका दिल,वाकई सच्चा हो

दोस्ती
एक राग है
जो सिर्फ उनको सुनाई देता है
जिनकी सांसों में प्यार की लय हो

दोस्ती
एक दौलत है
जो सिर्फ उनके पास होती है
जिनमें अंहकार नही होता

दोस्ती
एक धर्म है
जो सिर्फ वो ही समझ सकता है
जिसका वास्तव में कोई धर्म ना हो

दोस्ती
एक किताब है
जिसे सिर्फ वो ही पढ़ सकता है
जिसे प्यार का सर्वस्व ज्ञान हो

दोस्ती
एक जज़्बात है
जिसे सिर्फ वो ही समा सकता है
जिसका दिल,दरिया जी तरह हो

दोस्ती
राजनीति नही है
कोई आपको मूर्ख बनाए और
आपका मत हथिया ले जाए

दोस्ती
नाम या सरनेम में नहीं
इंसान के अस्तित्व में बस्ती है
जब सब भूल हम एक हो जाते हैं

दोस्ती
मासूम है
आज के इंसान की तरह नही है
जिसे लालच के सिवा कुछ नहीं दिखता

दोस्ती
जाति,धर्म,गोत्र नहीं है
यह दिल का,दिल से नाता है
जब होती है तो सब हार जाते हैं

दोस्ती
मुसलमान,हिंदू नही
ये इन सबकी पूछती भी नही है
बस मस्त है इंसानियत के नशे में

 दोस्ती
अनपढ़ नही है
जो बरगलाती हो औरों को
और खुद राज करना चाहती हो

दोस्ती
बहुत ही पाक पवित्र है
जब वक्त पड़े तो साथ खड़ी हो
मिट जाए यार की ख्वाहिश पर

डॉ विनोद कुमार शकुचंद्र

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