एक स्त्री की पुकार – रजत त्यागी

एक स्त्री की पुकार – रजत त्यागी

स्त्री है देवी का रुप |
यह तो सब जानते है |
जिसे हम सनातनी अपने
धर्म में भी है पूजते है |
पर क्या स्त्री का आज
हम सम्मान करते है |
चहूं और हम बड़े बड़े
वादे तो करते है |
पर क्या स्त्री को आज
हम पूरी आजादी देते
है |
स्त्री एक शब्द नही |
यह तो जिम्मेदारी का
श्रंगार है |
जिसे स्वयं ईश्वर ने
इसी के लिये ही बनाया
है |
एक स्त्री घर को घर बनाती
है |
वही अपनी जिम्मेदारी को
भी बखूबी निभाती है |
जिस पुरुष को स्त्री जन्म
देती है |
आज वही स्त्री उसी पुरुष
द्वारा प्रताड़ित भी होती
है |
स्त्री को किसी धन से नही
खरीदा जाता |
स्त्री को तो केवल सम्मान
की नजरों से देखा जाता
है |
कुछ नजरें दुष्ट प्रवर्ति युक्त
होती है |
जो स्त्री को हर समय उसके
सम्मान को भंग करने का
मौका ढूंढती है |
आज स्त्री को खुद उतरना
पड़ेगा मैदान में |
बन काली इन दुष्टों का
सर्वनाश करना होगा
स्वयं अपनी शक्ति से |
नाम- रजत त्यागी
जिला- मुजफ्फरनगर
राज्य- उत्तरप्रदेश

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