ये दर्द दिल में जगा न होता
अगर वो मुझसे ज़ुदा न होता।
जो यादें दिल में बसी न होती
तो पास कुछ भी बचा न होता।
भटकता रहता यहांँ वहांँ मैं
जो हाथ तुमसे मिला न होता।
न साथ जुड़ता अगर ये तुमसे
तो फूल दिल का खिला न होता।
मैं रोक लेता क़दम ये अपने
जो हाथ तेरा बढ़ा न होता।
गुनाह मुझसे ज़रूर होते
जो दिल में मेरे ख़ुदा न होता।
रजनी महफ़िल न झूम पाती
जो शायरी में नशा न होता।