गूंज रही हैं सकल दिशाएं

गूंज रही हैं सकल दिशाएं


गूंज रही हैं सकल दिशाएँ
गुंजित चंद्रयान की गाथाएं

गाथाएं समर्पित भाव की
गाथा समवेत प्रयास की।
कहीं लगन सी एक लगी थी
कर गुजरें,प्यास लगी थी।
जो सफल नहीं हो पाए थे
नही हिम्मत वो हारे थे।
गूंज रही हैं सकल दिशाएँ
गुंजित चंद्रयान की गाथाएं।

ओह!विक्रम साराभाई
देखो मेहनत रंग लाई।
सतीश धवन,अब्दुल कलाम
वैज्ञानिकों तुम्हे प्रणाम।
अब हां बहुत कुछ बदलेगा
क्या दृष्टिकोण बदलेगा?
गूंज रही हैं सकल दिशाएँ
गुंजित चंद्रयान की गाथाएं।

कि सोच अब बदलनी होगी
तार्किक दृष्टि रखनी होगी।
अरे फिजूल के डर को अब
ना तिलांजलि क्यों दें हम?
नई सोच के प्रकाश में
नए नए से इस आकाश में ।
गूंज रही हैं सकल दिशाएँ
गुंजित चंद्रयान की गाथाएं।

चंद्रमा था तब सुहावना
होगा अब और लुभावना।
मुखड़ा जो रहा चांद सा
रहेगा अब भी चांद सा।
सौंदर्य बोध न कम होगा
प्यारा वह अब भी होगा।
गूंज रही हैं सकल दिशाएँ
गुंजित चंद्रयान की गाथाएं।

वह वहां पानी ढूंढेगा
धरती पर कवि ढूंढेगा।
अन्न की जल की संभावना
ह्रदय मन की संभावना।
एक साथ तलाशा जाएगा
कवि तो हां अब भी गाएगा।
गूंज रही हैं सकल दिशाएँ
गुंजित चंद्रयान की गाथाएं।

(अनिल शर्मा

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