जो बात तेरी और मेरी थी,,
उस बात को जग ने जाना क्यों?
जब मशहूर ही होना था तुझको,,
तो बनता था मेरा दीवाना क्यों?
जब गैरों को लगाया है सीने,,
तो मेरी गली में आना जाना क्यों,,,
हम ठीक थे, गुम थे ,खुद में ही
तूने हमको पहचाना क्यों,,,
जो बात तेरी और मेरी थी
उस बात को जग ने जाना क्यों,,,
मानकी हम नहीं तेरे काबिल थे,,
हक तुझको पर सारे हासिल थे,,
खुद छोड़ गया तपती धूप में तू,,
फिर खुद को यूं तड़पाना क्यों,,
जो बात तेरी और मेरी थी,,
उस बात को जग ने जाना क्यों,,,
जिद थी तेरी मेरी मर्जी नही,,
इश्क सच्चा था मेरा फर्जी नहीं,,,
तूने खुद को खुद आजाद किया,
फिर गाता है वही अफसाना क्यों,,
जी बात तेरी और मेरी थी,,
उस बात को जग ने जाना क्यों,,,
आंखों में नीर उपहार मिले,,
इस इश्क में दर्द हजार मिले,,
जब जुर्म किया स्वीकार करो,,
इस बात में अब शर्माना क्यों,,
जो बात तेरी और मेरी थी,,
उस बात को जग ने जाना क्यों,,,
उस बात को जग ने जाना क्यों,,,
Ati uttam…. Micro psychological moments expressed in deep thoughtfulness….. Congratulations 🌹🍁🎉