उतरी गोलार्ध का सबसे बड़ा दिन 21 जून को माना जाता है।इस दिन सूर्य जल्दी निकलता है और देरी से डूबता है।ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाता है और सूर्य के दक्षिणायन का समय अत्याधिक सिद्धियां प्राप्त करने में बहुत लाभकारी माना जाता है।
ऐसा माना जाता है, कि आदि देव शिव ने पहली बार अपने शिष्यों को इसी दिन यानी कि, ग्रीष्म संक्रांति के दिन ही योग की शिक्षा दी थी और सनातन धर्म में इसी दिन से योग की शुरुआत आदि देव शिव से ही प्रारंभ मानी जाती है। पुरातन काल में योग करने वाले पुरुष को योगी और महिला को योगनी कहा जाता है। योग ज्ञान से दिव्य ज्ञान की प्राप्ति भी होती है।
करीब 5000 साल पहले तक योग का विकास सभी चरणों पर किया गया,जिसमें शारीरिक, मानसिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक रूप शामिल थे। योग का सर्वप्रथम उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है, जो पांचवी और छठी शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास शुरू हुआ था। योग एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है,जहां शरीर, मन और आत्मा संयुक्त होते हैं।यह हिंदू ,जैन और बौद्ध धर्म में ध्यान की प्रक्रिया से संबंधित है।
सिंधु घाटी सभ्यता की मुहर और जीव अवशेषों में योग साधना करने वाले आकृतियां देखी जा सकती है, जिससे साफ होता है कि योग भारत में प्राचीन समय से है।विभिन्न ग्रंथों में इसका जिक्र किया गया है।भागवत गीता, उपनिषद, योग वशिष्ठ ,हठयोग प्रदीपिका,शिव संहिता पुराण आदि में इसका जिक्र किया गया है।
योग का पिता पतंजलि को माना जाता है, जिन्होंने योग सूत्रों के माध्यम से योग को सुलभ बनाया और जीवन के दिनचर्या में शामिल करने के बाद जीवन को भिन्न _भिन्न व्याधियों से मुक्त करने का संदेश दिया था।
सामान्य अर्थ में योग का मतलब जोड़ना होता है।यानी दो तत्व का मिलन योग कहलाता है।जीव भाव में पड़ा मनुष्य परमात्मा के कारण से निजी आत्मस्वरूप में स्थापित हो जाए तो योग पूर्ण माना जाता है।
सीधे शब्दों में मन,शरीर, विचार और श्वास की देखभाल ही योग की सिद्धि है।
योग के मुख्यत:प्रकार हैं_
हठ
राज
कर्म
भक्ति
ज्ञान और
तंत्र।
योग के प्रमुख प्रकारों में राज्य योग की 8 शाखाएं हैं।जिसे अष्टांग कहते। अष्टांग में प्रमुख है_ ’ध्यान’ योग के आठ अंग पतंजलि ने अष्टांग माने हैं।
आठ अंग यथा _
यम (शपथ लेना), नियम (आत्मानुशासन),आसन प्राणायाम,प्रत्याहार, धारणा (एकाग्रता)ध्यान (मेडिटेशन)और समाधि (अंतिम मुक्ति)।
पतंजलि ने ’केवल्य’की प्राप्ति ही योग का लक्ष्य बताया।उन्होंने योग की मौजूदा प्रथाओं,इसके अर्थ और इसके संबंधित ज्ञान को व्यवस्थित और संहिता बद्ध किया।भक्ति, योग, कर्म, योग और ज्ञान योग के मानवीय शक्ति का चतुर्दिक विकास का माध्यम योग है।
177देशों के सदस्यों द्वारा 11दिसंबर 2014को विश्व योग दिवस का प्रस्ताव पारित किया गया।जिसमे 21जून 2015को ’अंतर्राराष्ट्रीय योग दिवस’को मानने की स्वीकृति मिली। तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में यह विचार प्रकट किया था। भारत की ओर से योग गुरु एवं श्री श्री रविशंकर के नेतृत्व में विश्व योग दिवस के रूप में इस दिन को ’संयुक्त राष्ट्र यूनेस्को’ द्वारा घोषित करने के हस्ताक्षर किए गए थे। 21 जून 2015 को पहली बार मनाया गया योग दिवस, जिसमें 35,985 लोगों और 84 देशों के लोगों ने दिल्ली राज्य पथ पर 21 आसन किया।इसकी शुरुआत भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। अभी तक हुए किसी भी ’संयुक्त राष्ट्र महासभा’के संकल्प के लिए यह अब तक के आयोजकों की सबसे अधिक संख्या थी।
योग के कुछ प्रसिद्ध ग्रंथ इस प्रकार हैं_
1)योगसूत्र(पतंजलि)
2)योगभाष्य(वेदव्यास)
3)भोजवृति(राजाभोज)
4)सूत्रवृति(गणेशभाव)
5)मणिप्रभा(रामानंद यति)
6) हठयोगप्रदीपिका(स्वामी स्वात्याराम)
7)जोगप्रदिपिका(जयतराम)आदी।
प्रसिद्ध योगगुरुओं में ’बीकेएस अयंगर’ की प्रसिद्धि वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक आंकी जाती है। इन्होंने पतंजलि के ऊपर लिखी एक पुस्तक से काफी लोकप्रियता हासिल की। पुस्तक का नाम था ’लाइट ऑन द योग सूत्राज ऑफ पतंजलि।’ इसमें योग के नियम,तरीके,प्रभाव और स्वरूप के बारे में विस्तृत से चर्चा की गई है।
द्वितीय प्रसिद्ध योगगुरु के रूप में बाबा रामदेव की प्रसिद्धि भी वैश्विक स्तर पर कायम हैं।योग में प्राणायाम और योगासन को प्रमुखता देनेवाले रामदेव भिन्न_ भिन्न शिविरों के माध्यम से लोगों को योग की शिक्षा देते हैं। उनमें जागरूकता और बदलाव लाने का भरसक प्रयत्न करते हैं।
योग के विषय में भिन्नभिन्न विद्वानों की परिभाषाएं निम्नांकित है
” सांसे अंदर लो और ईश्वर तुम तक पहुंचता है। सांसे रोके रहो और ईश्वर तुम्हारे साथ रहता है।सांसे बाहर निकालो और तुम ईश्वर तक पहुंचते हो। सांसे छोडे रहो और ईश्वर के प्रति समर्पित हो जाओ।”
( कृष्णमाचार्य)।
”कर्म योग में कोई भी प्रयत्न बेकार नहीं जाता और इससे कोई हानि नहीं होती। इसका थोड़ा सा भी अभ्यास जन्म और मृत्यु के सबसे बड़े भय से बचाता है।”
(भगवत गीता)।
”ध्यान से ज्ञान आता है ज्ञान की कमी अज्ञानता लाती है। अच्छी तरह जानो कि क्या तुम्हें आगे ले जाता है और क्या तुम्हें रोके रखता है और उस पथ को चुनो जो ज्ञान की ओर ले जाता है।”
(बुद्ध)।
”योग करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपकरण जो आपको चाहिए होंगे वह है, आपका शरीर और आपका मन।”
रॉडने यि)
योग का अर्थ एकता या बांधना है। इस शब्द की जड़ संस्कृत शब्द यूज,इसका मतलब है जुड़ना। व्यवहारिक स्तर पर योग शरीर, मन और भावनाओं को संतुलित करने और तालमेल बनाने का एक साधन है। आध्यात्मिक स्तर पर इस जोड़ने का अर्थ सार्वभौमिक चेतना के साथ व्यक्तिगत चेतना का एक होना है।
अभी हाल तक विश्व के विद्वान यह मानते आए थे, कि योग की जानकारी 500 ईसा पूर्व हुई थी। जब बौद्ध धर्म का प्रादुर्भाव हुआ। लेकिन हड़प्पा और मोहनजोदड़ो में जो उत्खनन हुआ, उससे प्राप्त योग मुद्राओं से ज्ञात होता है, कि योग का चलन 5000 वर्ष पूर्व से ही था।
लोक परंपरा व सिंधु घाटी सभ्यता वैदिक और उपनिषद बौद्ध और जैन परंपराओं, दर्शनों महाभारत और रामायण के महाकाव्य से वह वेद, पुराणों की परंपराओं और तांत्रिक परंपरा में भी देखी जा सकती है।तंत्र साधना में हठयोग को अधिक प्रभावी माना जाता था। ’ह’यानी सूर्य ’ठ’यानी चंद्रमा। बौद्धों में योग के माध्यम से ध्यांचक्रो को भेदा जाता था।जिससे केवल्य की प्राप्ति मानी जाती थी।
योग चीन,जापान,तिब्बत, दक्षिण पूर्व एशिया और श्रीलंका के साथ-साथ भारत से बौद्ध धर्म में फैल गया है और इस समय पूरी दुनिया में लोग इससे परिचित हैं।भिन्नभिन्न योग संस्थान भी योग को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने में अपनी अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। यथा अष्टांग योग संस्थान मैसूर,अष्टांग योग अनुसंधान संस्थान कर्नाटक, मैसूर में योग केंद्र देश नहीं बल्कि विदेश में भी काफी प्रसिद्ध है।जहां जानी_मानी सीने हस्ती अन्नू अग्रवाल भी योग को आत्मसात कर लोगों को भी इसमें प्रशिक्षण दे रहीं हैं। डेस्टिनेशन अनुसंधान संस्थान कर्नाटक,कृष्णमाचार्य योग संस्थान चेन्नई, कृष्णमाचार्य योगा संस्थान तमिलनाडु के चेन्नई में स्थित है।
कुछ प्रमुख आसन इस प्रकार हैं…
1)वज्रासन
2) ताड़ासन
3)शवासन
4)कोणासन
5)सुखासन
6)मत्स्यासन
7)हलासन
8)बालासन
9)सेतुबंध आसन
10)वृक्षासन
11)भुजंगासन
12)नटराज आसानी
13)मर्जरी आसन आदि।
योग न केवल हमारे शरीर की मांसपेशियों को अच्छा बना देता है, बल्कि हमारे दिमाग को शांत रखने में मदद करता है। चिकित्सा अनुसंधान से पता चला है,कि योग शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है।आज के इस भागदौड़ भरी दिनचर्या में योग और भी प्रभावी कारक के रूप में वैश्विक स्तर पर कायम हो रहा है।स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन निवास करता है।इसी सोच को आत्मसात करने से योग के द्वारा अपने जीवन को सुचारू ढंग से चलाने का संकल्प स्वांत:सुखाए से सर्वसुखाए की ओर स्वत:अग्रसर हो जाएगा ।