काश देख पाती कभी तुझे, जब तू थक कर लेटा हो मेरी आगोश में,,
उस पल में और कोई न हो मैं,तुम और ये नीला आसमान हो।
बज रही हो हमारे धड़कनों की सरगमऔर खो रहे हो
एक दूजे में हम।
जैसे खो जाती है समंदर में लहरें चुपचाप।
आपके मजबूत हाथ थामे हो
मेरी कोमल कमर को
और इस बाहुपास से छूटने की कोई जिद न हो मेरी।
गुजर जाए तमाम रात इसी तरह तेरी आगोश में,
और उस रात की खुमारी ताउम्र न उतरे फिर कभी,,