कारगिल विजय दिवस – कौशल किशोर

 कारगिल विजय दिवस – कौशल किशोर

अमर शहीदों बार -बार याद जब आप आएंगे ,

मरकर भी इन वीरों का कर्ज चुका न पाएंगे।

याद करें उन वीरों का सरहद पर जिनकी जान गई।

याद करें उन माताओं की जिनकी गोदें सुनी हुई।

याद करें उन विधवाओं का जिनकी मांगे सुनीं हुईं।

याद करें भी उन बहनों की जो रक्षा बंधन पर खूब रोए।

याद करें उन भाई को जो अपने सहोदर को खोए।

याद करें उन पिताओं की जिसे अपने कंधों पे ढोए।

अमर शहीदों बार -बार याद जब आप आएंगे।

मर कर भी तेरा कर्ज चुका न हम पाएंगे।

कैसा विजय, किसकी विजय,जब आंसू ही ना रूकते हों ?

एक एक वीर जब भारत की बलि वेदी पर चढ़ते  हों।

फिर विजय का पर्व क्यों मनाते? समस्या क्यों नहीं सुलझाते

रूक रूक ऐसी घटनाएं क्यों हो जाते।

कौशल किशोर जी की कलम से

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