खतो का सिलसिला

खतो का सिलसिला

प्यार का किस्सा खतों का सिलसिला

जब से मोबाइलों का जमाना आया है

अब कहा कोई खत डाक से आया है
अब तो फोन में हो जाता है सबकुछ
अब कोन अपना कोन पराया है

जिंदगी की घड़ियों में अब समय न रहा
अब कहा खतों का सिलसिला रहा
मां बाप से भी ओलांद करती नही बाते
अब साथ रहने का भी कोई फायदा ना रहा

प्यार मोहोब्बत में वो अब दर्द ना रहा
न कोई लैला रही न कोई मजनू रहा
आजकल का माहौल ऐसा बदला
इस मतलबी दुनिया ने कोई अपना न रहा

खतों की बात भी अब पुरानी लगती हैं
अब प्यार मोहब्बत भी बेमानी लगती हैं
अब प्यार भी सिर्फ जिस्मानी हो गया
आज खतों का सिलसिला बेमानी हो गया

अब बदल चुका है माहौल सारे जहां का
आज हर रिश्ता सिर्फ एक व्यापारी हो गया
प्यार तो पहले हुआ करता था नैन मटके वाला
आज हर किस्सा मोबाइल का स्टेटस हो गया

आज खतों का सिलसिला बेमानी हो गया !

कुलदीप सिंह रुहेला
सहारनपुर उत्तर प्रदेश

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