रूबरू मिलने का मौक़ा हमेशा नहीं मिलता, इसीलिए शब्दों से सब को छूने की कोशिश कर लेता हूँ ……
पता नहीं कितना कामयाब होता हूँ मैं इस प्रयास में , लेकिन मैं तो यही सोचता हूँ कि ऐसा कर आप सब को मैं कुछ तो ख़ुशी देता हूँ ।
इन लफ़्ज़ों में छिपी हुई है एक अजीब ओ ग़रीब कलाकारी ।
और इन्हें ख़ूबसूरती से बयान करना , ये भी है एक अदाकारी ।
एक शिल्पकार की तरह मैं अल्फ़ाज़ों को हूँ तराशता , फिर क़लम, पन्ने और स्याही को हूँ तलाशता ।
अपने दिल के हालातों को बदलता हूँ मैं जज़्बातों में ।
अब शायरी भी शामिल है , मुझे दी हुई उस खुदा के अनेकों सौग़ातों में ।
अज़ीज़ों , सच बताना , इन पंक्तियों को पढ़ कर क्या मिलता है तुम्हें कोई सुकून ?
इनतज़ार रहेगा आपके जवाब का , अगर आप हाँ कहोगे को जीवन भर मुकम्मल रहेगा , लिखने का मेरा जुनून !
यारो, मेहेरबानो , ज़रूर देना जवाब , नहीं तो दिल टूट कर , टुकड़े टुकड़े हो जाएगा मेरा जनाब !!
कवि——-निरेन कुमार सचदेवा।

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