लम्हे
स्वरचित रचना :-
तुझ संग बीते हुए
वो लम्हे याद आते हैं
उन्हे गर भूलना चाहें
ना हम भूल पाते हैं ।।
होते हैं इतने हसीं
पल पल याद आते हैं
तुझ संग बीते लम्हें
जाने क्यूँ याद आते हैं ।।
वो रातें और वो दिन
एक तस्वीर बन जाते है
जब देखता हूँ आस्माँ
तो मुझको चिढाते हैं।।
तेरा वो चेहरा औ बातें
बहुत मुझे याद आते हैं
तेरी वो मीठी अठखेलियां
बहुत मुझको लूभाते हैं ।।
वो बातें यादें वो मीठे पल
एक दर्द सा दे जाते हैं
कसक उठती है पाने की तुझे
मगर मन मार कर रह जाते हैं।।
अभय चौरे हरदा मप्र
