लिखती है कलम कहानियां तेरी,
पन्नों पर बिखरी यादें तेरी।
खड़ी हूं आज अकेली,
मेहरबानियां तेरी।
दूर हुई परेशानी सारी
खामोश लफ्ज़ बोल उठे
आज सुनाती हूं कहानी अपनी
जो हुई मेहरबानिया तेरी
तन्हाई हुई दूर
जिन्दगी में खेले फुल
मिला प्यार भरपूर
जब हुई मेहरबानी तेरी।
प्रतिभा जैन
टीकमगढ़ मध्य प्रदेश