मित्रता – डॉ. इन्दु कुमारी

मित्रता – डॉ. इन्दु कुमारी

मित्रता पर लुटाये हैं दिल जान हम||
दोस्त माना तुझे,जब से मैने सनम||

तेरे कदमों में जन्नत सदा देखती||
सच जो पूछे तो तुझमे खुदा देखती||
तुझको ना देखूं गर नैन हो जाते नम||

तुझपे खुशियाँ मै अपनी लुटाती रही||
रूठा तू जब तुझे मै मनाती रही||
हँस के हमने सहे तेरे सारे सितम||
मित्रता पर लुटाये हैं दिल जान हम||

आज मेरी सुखद मित्रता लग रही||
जिंदगी साथ मित्रों के हो खिल रही||
बाँट लेते हैं मनमीत सच मेरे गम||
मित्रता पर लुटाये हैं दिल जान हम||

डॉ. इन्दु कुमारी मधेपुरा बिहा

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