रक्षाबंधन
रक्षाबंधन है एक पवित्र बंधन,
रिश्तों की अग्नि में है ये कुंदन।
वात्सल्य से परिपूर्ण नाता है,
पिता सम लगता हर भ्राता है।
रेशमी सा ये बंधन है तो अटूट,
कमज़ोर डोर का नाता मज़बूत।
रक्षासूत्र में बहना की शक्ति है,
भाल पे टीका इसकी भक्ति है।
महकता है ये नाता चंदन सा,
जैसे इष्ट को किया वंदन सा।
हनुमत है जब भाई ‘क्षिति’ का,
डर कैसा किसी भी अति का।।
सपना ‘क्षिति’