साक्षात्कार
डॉ गुलाब चंद पटेल हिंदी गुजराती साहित्य कार हे, इन्हें हिंदी साहित्य में करीबन 125 से अधिक सम्मान एवं पुरस्कार राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्राप्त हुए हैं
वे गुजरात की राजधानी गांधीनगर से हे इन्होंने साहित्य के प्रचार प्रसार के लिए महात्मा गांधी साहित्य मंच गांधीनगर (गांधीनगर साहित्य से वा संस्थान चेरीटेबल ट्रस्ट गांधीनगर द्वारा संचालित ( पंजीकृत ) की रचना ऑन लाइन की हे
अब आइए इन्हें मिलते हैं इनसे ही कुछ ज्यादा जानकारी प्राप्त करते हैं
आप का शुभ नाम बताइए
मेरा नाम डॉ गुलाब चंद पटेल हे
प्राथमिक शिक्षा आप ने कहा से ली है
मेने प्राथमिक शिक्षा मोटेरा गांव अहमदाबाद मे प्राप्त किया है
उच्च शिक्षा कहा से प्राप्त की है
मेने उच्च शिक्षा अहमदाबाद में एस वी आर्ट्स कॉलेज से और नानावटी लो कॉलेज से एल एल बी की शिक्षा प्राप्त की है, जर्नलिज्म का अभ्यास मेने अहमदाबाद में नव गुजरात कॉलेज से प्राप्त किया है
आप कहासे हो
मे गांधी के गुजरात से गुजरात की राजधानी गांधीनगर से हू, मेरा वतन अहमदाबाद में मोटेरा है
आप क्या करते हैं
माता अभिनंदन संगठन गुजरात द्वारा निश्शुल्क ज्ञान शाला के संचालक और शिक्षक
भारतीय संस्कृति और इतिहास पढ़ाते है
आत्म हत्या निवारण जागृति अभियान चलाने वाले
सामाजिक कार्य कर और साहित्यकार हू,
नशा मुक्ति अभियान 15 साल से चला रहा हू, 350 से अधिक स्कूल एवं कॉलेज में व्यसन मुक्ति प्रोग्राम के लिए गया हू
सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में 111 से अधिक सम्मान और पुरस्कार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान
महात्मा गांधी जी की जन्म भूमि से हमे प्रेरणा मिली है,
आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी पोरबंदर 2009 को आए थे तब उन्होंने मेरा सम्मान किया था
हमे साहित्य के लिए 511 से अधिक सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त हुआ है, नशा मुक्ति /व्यसन मुक्ति के लिए मेरी दो किताब प्रकाशित हे, मे ऑल इंडिया कॉन्फ्रेंस में मुख्य अतिथि के रूप में कावर्धा छत्तीसगढ ग्रंध मुनि कॉलेज में मादक द्रव्य की आर्थिक मानसिक एवं शारीरिक असर के लिए अपना वक्तव्य दिया था
मे साथ साथ छह साल से रेस ईन रेन ट्रस्ट के साथ ब्रेसट कैंसर अवेर्नेसf प्रोग्राम कर रहा हूं
मे इंडियन लायंस गांधीनगर स्वर्णिम क्लब मे उपाध्यक्ष के bपद पर नियुक्त हू
आप साहित्य मे कब से जुड़े हुए हैं
मे साहित्य मे 1997 से जुड़ा हुआ हू, हमे प्रेरणा मेरे मित्र साहित्यकार श्री उजमशी परमार से मिली हे
आप क्या लिखते हैं
मे हिंदी गुजराती मे कविता, कहानी, यात्रा वृत्तांत, शोध लेख एवं अनुवाद करता हू
आप की कितनी किताबे पब्लिश हुई है
मेरी हिंदी मे चार किताबे पब्लिश हुई है
1.हरि कृपा काव्य संग्रह
2.जड़ बेरी और अन्य कहानिया.
3 मौत का मुकाबला
4 वैश्विक परिप्रेक्ष्य में गांधीजी और अन्य शोध
गुजराती मे मेरी छह किताबे प्रकाशित हे
1 सच्चे प्रेम की शोध..
2.स्वर्णिम संकल्प
3.चलो व्यसन मुक्त स्कूल कॉलेज का निर्माण करे
4.यदि डॉ बाबा साहब अम्बेडकर न होते
5.डॉ बाबा साहब अम्बेडकर का जीवन संदेश
6..खोजना होगा अमृत कलश
आप कौनसी संस्था का गठन लोक डाउन मे किया है
हमने 29 जून 2020 को गांधीनगर साहित्य सेवा संस्थान चेरीटेबल ट्रस्ट गांधी नगर (पंजीकृत) संस्था का गठन किया है
अब तक 35 से अधिक साहित्यिक हिंदी और गुजराती साहित्य के लिए किए गए हैं
तीन ई बुक पब्लिश किया गया है
1.गाँधी काव्य कुंज गुजराती
2.वैश्विक परिप्रेक्ष्य में गांधीजी और अन्य शोध
- ज़न संख्या विषय पर काव्य संग्रह
आदरणीय मुख्य मंत्री श्री विजय रुपानी साहब से तीन bअभिनंदन पत्र संस्था के अध्यक्ष श्री डॉ गुलाब चंद पटेल जी को प्राप्त हुए हैं
आप किस विषय में कविता लिखते हैं
देश प्रेम, सामाजिक, पर्यावरण, धार्मिक
.आप की पसंद की कविता देश प्रेम पर सुनाईये.
मोहन गांधी :
स्वतंत्रता की चलाई आँधी,
नाम था उसका मोहन गांधी
जनता की उसने बनाई कुमक,
डांडी मे से उसने उठाया नमक
कस्तूर बा से कराया श्रम,
साबरमती मे बनाया आश्रम
बचपन में उसने खाये चने,
इंग्लैंड जाकर बेरी स्टार बने
स्वतंत्रता की ज्योति जलाई
भारत देश को आजादी दिलाई
अंग्रेज को दिखलाया डंडा
फहराया था राष्ट्र का झंडा
अंग्रेज ने जब करवाई हिंसा
गांधीजी ने अपनाई अहिंसा
अहिंसा का वह नारा लगाया
भारतीयों को खादी पहनाया
अछूते को बनाया परिजन
नाम अनुपम रखा हरिजन
बापू बन गया है उसका नाम
किया जो उसने देश का काम
मेरे शरीर में हुआ मधुर स्पन्दन
महात्मा गांधी को मेरा प्यारा वंदन
15 अगस्त 1947 को आजादी मिली
कवि गुलाब कहे देश में बगिया खिली
.
सामाजिक
बेटी बचाओ इतिहास
इतिहास रचाओ
देश में एक इतिहास रचाओ
बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ
बेटी पिता की शान है
बेटी ह्रदय की जान हे
बेटी थकी वंश हे बढ़ता
कुम कुम पगले आंगन में पड़ते
भारत की वो बहादुर बेटी थी
वो थी झांशी की रानी लक्ष्मी थी
वही है लक्ष्मी रानी
जिसने अंग्रेज का उतारा पानी
देश में आई कटो कटी की आंधी
नाम था उसका स्व. इंदिरा गांधी
राणा का अभिमान उतारा
वो थी कृष्ण प्रेमी मीरा
इतिहास में थी बाई झलकारी
अंग्रेज के सामने बंग पूकारी
देश और दुनिया की शान बढ़ाओ
गुलाब चंद कहे प्लीज़ बेटी बचाओ.
शृंगार रस
हे प्रिये काश ऎसा भी हो
मेरी आंखो की पलकें
आँसू से भीग जाय,
ऎसा भी हो
तेरे विरह की वेदना मे
प्यार का उपवन सुक जाय
ऎसा भी हो
.
जन्म दिन पर दिया गया गिफ्ट
कही खो जाय
ऎसा भी हो
तेरे भेजे गए ईमेल.
कही डिलीट हो जाय
ऎसा भी हो
तेरी आँखो के तेज किरणों से
मेरी आँख चकाचौंध हो जाय
ऎसा भी हो
.
तेरे प्रेम के एसएमएस से
मेरा दिल बिंद जाय
ऎसा भी हो
समंदर की लहरों की तरह
पुलकित प्यार दब जाय
ऎसा भी हो
तेरा गुलाब की तरह
खिला हुआ चेहरा शर्मा जाय
ऎसा भी हो
काश! गुलाब तेरे प्यार के उपवन में
कही खो जाय
ऎसा भी हो.
देश प्रेम
आत्म निर्भर :
भारत देश हमारा आत्म निर्भर है
देख सकते हैं इतिहास का सर्वर है
गांव में आज भी चरखा चलता है
लोग खादी क सुन्दर कपड़े बुनते है
घर घर गृह उद्योग चलते हैं
सभी चीज़ भारत में उपलब्ध है
सभी कॉटन कपड़े यहा मिलते हैं
अहमदाबाद मिलों का मैनचेस्टर है
विदेशी चीजों से सभी डरते हैं
खराब निकले तो लेने से डरते हैं
चाय चावल निर्यात होता है
जब विदेश में जरूरत होता है
धर्म निरपेक्षता यहा चलता है
संस्कृति पर ही सभी निर्भर है
बहुत सारे सखावत देश में चलते हैं
यहा स्वादिष्ट भोजन फ्री में मिलता है
बहुत सारे यहा नदी-नाले सरोवर हे
देश हमारा आज भी आत्म निर्भर है
ह्रदय यदि तुम्हारा निर्मल है ,
थाल मे गंगा यमुना सरस्वती है
भारत देश मे भक्ति की धारा है
यही विश्व में सबसे बड़ी शक्ति है
चाणक्य नीति से चलना है
विनम्रता से प्रभावित करना है
कोरोंना का कठिन काल चलता है
हम सभी को आत्म निर्भर रहना हे
कवि गुलाब कहे यही करना है
आत्म निर्भर सभी को चलना है.
पर्यावरण
जंगल में डॉट कॉम खोलिए
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जंगल में डॉट कॉम खोलिए,
वृक्ष प्रेमी ओ को अपनी ओर मोडीए
पिंपल डॉट कॉम, नीम डॉट कॉम
बबूल डॉट कॉम, नींबूड़ी डॉट कॉम
जंगल डॉट कॉम, पर्यावरण डॉट कॉम
डॉट कॉम, डॉट कॉम, जंगल डॉट कॉम
कोकरिट के जंगल को रोकिए,
पर्यावरण के लिए जरा सोचिए
घर घर वृक्ष उगईए
पर्यावरण को बचाने आगे आइए
पेड़ पर प्रभु की छवि दोरिए
और रक्षा का दायित्व निभाईए
बचाना है यदि अपना जुस्सा
तो लगाइए रोज एक नया वृक्ष
यदि नहीं करेंगे वृक्ष का जतन,
तो एक दिन होगा जरूर आपका पतन
याद करिए वृक्ष वाला वतन,
पर्यावरण के लिए वृक्ष का करिए जतन
गुलाब चंद कहे एक रीत अपनाइए
गली गली में रोज रोज वृक्ष नए लगाइए
शृंगार रस
खालीपन “
खालीपन हे मुज ह्रदय में,
कुछ भी स्पष्ट नहीं है मन में,
दूविदा हे इस चिट मे,
कुछ कहने के लिए,
जब भी खुलते हैं होठ,
शब्द फरियाद लेकर,
आते हैं मेरे मन में,
पीछे मुड़ न सकूं
एसी सोच के उपवन में,
कुछ भी,
बदलाव नहीं आया,
गर्मी, सर्दी, बरसात की मौसम में,
हे कोई,
जिसने मधुर अमरुत देखा हो?
ये आग उगलती दुनिया में,
ढाई शब्द,
प्रेम की आड़ में,
जाने क्यो लोग,
भर लेते हैं,
सारी वेदना अपने दिल में?
यारो,
कड़वी बात लगे तो,
माफ करना मुजे,
ये तो,
यू ही,
ख्याल आया,
मेरे दिल में!