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भेदभाव (लघुकथा)
बचपन से शहर में पली-बढ़ी प्रिया को जब भूमि ने अपने गांव होली में चलने को कहा तो उसकी बांछें खिल गई।होली के दिन पूरा गांव एक अलग ही रंग में रमा था। आपसी सौहार्द ,भाईचारा और प्रेम से सराबोर माहौल प्रिया को आकर्षित कर रहा था। अब बारी थी घर -घर जाकर होली खेलने और पुआ-पूरी खाने की।भूमि प्रिया और उसकी सहेलियां सभी घर-घर जाकर और घूम-घूम कर होली का भरपूर आनंद ले रहे होते हैं। तभी उन्होंने सुना सीमा की मां किसी को जोर- जोर से डांट रही होती हैं।