चाय

चाय

नाम सुनते ही चाय का,स्वाद मुॅंह में आने लगता।क्या कहने हैं चाय के?कई प्रकार के स्वाद है इसके।…
इश्क का सच (कविता)

इश्क का सच (कविता)

जिनसे मोहब्बत नहीं, उनसे निभाए भी तो कैसे,नादान उसके दिल को समझाएं भी तो कैसे?  जान देता है…
विकास की प्रीति

विकास की प्रीति

2007/6/25तिथि को बना था, अद्भुत ग्रह नक्षत्रों का संयोग। जब पधारे थे हमारे आंगन, सर्वगुण संपन्न अतिथि विशेष।
इश्क़

इश्क़

जो बात तेरी और मेरी थी,, उस बात को जग ने जाना क्यों? जब मशहूर ही होना था तुझको,, तो बनता था मेरा दीवाना क्यों?
मेरे हमसफर

मेरे हमसफर

सब खोकर जिसे पाना चाहे दिल,चाहत का वो अरमान हो तुम। दिल,जिगर,धड़कननही,मेरि तो अब जान हो तुम।।
काश (कविता)

काश (कविता)

काश देख पाती कभी तुझे, जब तू थक कर लेटा हो मेरी आगोश में,, उस पल में और कोई न हो मैं,तुम और ये नीला आसमान हो।
ग़ज़ल

ग़ज़ल

ये  दर्द  दिल में जगा न होता अगर वो मुझसे ज़ुदा न होता।
अच्छा लगता है

अच्छा लगता है

सुबह-सुबह घर के कामों में व्यस्त रहता मुझे देखकर मेरे लिए तुम्हारा एक कप चाय बना देना बड़ा अच्छा लगता है!
दर्द (लघुकथा)

दर्द (लघुकथा)

सुधा खुद को आईने में देख फूली न समा रही थी।कभी अपने गजरे को देखती कभी अपनी चूरियों को तो कभी अपने सुर्ख लाल जोड़े को।