दर्द (लघुकथा)

दर्द (लघुकथा)

सुधा खुद को आईने में देख फूली न समा रही थी।कभी अपने गजरे को देखती कभी अपनी चूरियों को तो कभी अपने सुर्ख लाल जोड़े को।