शाक्त सम्प्रदाय का स्थल है तुतला भवानी

शाक्त सम्प्रदाय का स्थल है तुतला भवानी

शाक्त सम्प्रदाय का स्थल है तुतला भवानी
सत्येंद्र कुमार पाठक
सनातन धर्म की शाक्त सम्प्रदाय का देवीभागवत एवं विभिन्न ग्रंथों में तुतला भवानी का उल्लेख किया गया है । बिहार के रोहतास जिले का तिलौथू प्रखण्ड का गया – मुगलसराय रेलवे लाइन का डेहरी ऑन सोन स्टेशन से डेहरी – रघुनाथपुर रोड का रामडीहरा बस स्टैंड से 5 किमि पर विंध्य पर्वत माला में अवस्थित कैमूर पर्वत की तुतला श्रंखला पर मां तुतला भवानी मंदिर स्थित है। तुतला भवानी मंदिर कैमूर पहाड़ी की घाटी का गुफा में स्थित तुतला मंदिर के समीप तुतला पर्वत श्रंखला से तुतला झरने से कछुअर नदी प्रवाहित है। फ्रांसिस बुकानन द्वारा 14 सितम्बर 1812 ई में रोहतास यात्रा के दौरान तुतला गुफा में स्थित तुतला भवानी की मूर्ति और खंडित प्रतिमा एवं शिलालेख का उल्लेख किया गया है । शारदा लिपि शिलालेख 8 वीं सदी तथा खरवार वंशीय राजा धवल प्रताप देव द्वारा शिलालेख बारहवीं सदी में तुतला भवानी मंदिर का जीर्णोद्धार और तुतला मूर्ति और 19 अप्रैल 1158 ई. में तुतला भवानी की प्रतिमा की स्थापित है। राजा धवलप्रताप देव की पत्नी सुल्ही, भाई त्रिभुवन धवल देव, पुत्र बिक्रमध्वल देव, साहसध्वल देव तथा पांच पुत्रियों के साथ पूजा अर्चना के साथ प्राण प्रतिष्ठा करायी थी । तुतला अष्टभुजी भवानी की मूर्ति गड़वाल कला में माता अष्टभुजी की दैत्य महिषासुर की गर्दन से निकल रहा देवी अपने दोनों हाथो से पकड़कर त्रिशूल से मार रही हैं महिषासुर मंर्दिनी तुतला भवानी की प्रतिमा तुतराही जल प्रपात के मध्य में स्थापित है। पूरे रोहतास व कैमूर जिले में इस प्रकार का अद्भुत जल प्रपात नहीं है। गढ़वाल वंशीय का धरोहर रोहतास का सोनहर पहाड़ी है । तुतला क्षेत्र शाक्त सम्प्रदाय का महान रहा है । गढ़वाल एवं देव वंशीय राजाओं की रोहिताश्व पठारी का कैमूर पर्वत के विभिन्न श्रंखला पर क्षेत्रों में शाक्त सम्प्रदाय की आराध्य देवी महिषासुर मर्दनी , तुतला माता , अष्टभुजी माता , चामुंडा माता , काली माता की विभिन्न रूपों में स्थापित है ।

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