साथ तुम्हारे उमर बिता लें

साथ तुम्हारे उमर बिता लें

साथ तुम्हारे उमर बिता लें
ऐसा भाग्य नही था अपना,
मगर तुम्हारे साथ प्यार का
इक मौसम तो जी सकते थे,

वो इक मौसम जिसमे हम तुम
सात रंग के फूल खिलाते,
वो इक मौसम जिसमे हम तुम,
कजरी,फाग, मल्हारें गाते।।

इक मौसम में जीवन को
संगीत बनाना बहुत कठिन था,
लेकिन मन से एक प्यार की
सरगम तो जी सकते थे,

वो इक मौसम जो जीवन के
क्षण क्षण को मधुमासी करता
मेरा मन प्रयाग बनाता
बदन तुम्हारा काशी करता

ओस के कण हम मिलकर बहते
तब भी सागर क्या बन पाते
किसी मोड़ पर मगर नेह का
इक संगम तो जी सकते थे,,

हम इक सुरभित उपवन होते
पोर पोर पर तुम्हे सजाते,
ढाल के खुद को नव रंगों में
जीवन की तस्वीर बनाते

उसे संजोकर रखते दिल में
जीवन भर इक निधि बनाकर
साथ वक्त के बहते बहते
यह अलबम तो जी सकते थे।।

पंकज अंगार

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