तुम पर दाग नहीं है
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तुम हो भारत की सच्ची तस्वीर,
उज्जवल छबि तुम्हारी है,
होगा चाँद पर दाग,
तुम पर कोई दाग नहीं है।
तुम सबकी इक आशा हो,
तुम पर वारे जाते सब,
तुम सबकी अभिलाषा हो,
तुम पर प्यार जताते सब।
तुम करूणा की मूर्ति हो,
तुम गंगा सी हो निर्मल,
तुम ममता की छबि बनी,
बहती धारा हो कल- कल।
तुमसे मेरे देश की धड़कन,
जीते देश की निशानी हो,
तुमसे सच पाता जन जन,
सच्ची तुम तो इक बानी हो।
बिन तुम्हारे कहाँ कहीं “सम”
तुममें कोई राग नहीं है,
होगा चाँद पर दाग,
तुम पर कोई दाग नहीं।
-- संतोष श्रीवास्तव "सम"
कांकेर छत्तीसगढ़।