विकास की प्रीति

विकास की प्रीति

2007/6/25तिथि को बना था, अद्भुत ग्रह नक्षत्रों का संयोग।
जब पधारे थे हमारे आंगन, सर्वगुण संपन्न अतिथि विशेष।

कर के कन्या का हमारे वरन,
किया था हमें पूर्णत:आश्वस्थ,
की करेंगे उसके आत्मसम्मान की रक्षा।
निभाकर अटूट विश्वास,देकर असीम प्रेम।

सदा धरा पर पग हैं जिनके,
लक्ष्य में साधे रहते आकाश।
न कोई बड़ा, न छोटा, न खास
कोमल हृदय,सरल प्रीति के स्वामी विकास।

ईश्वर के अनुपम उपहार स्वरूप
जिस पुत्रिरत्न को हमने पाया है।
प्रेम,त्याग,कर्तव्य और समर्पण से,
उसने अपना वैवाहिक धर्म निभाया है।

हर सुखदुख,लाभहानि में
दिया दोनों ने भरपूर सबका साथ।
डटकर खरे रहते संकट में सदा,
बिगड़ी हुई भी बनाते हर बात।।

आज इस वैवाहिक वर्षगाठ पर,
देकर उन्हें असीम शुभकामनाएं।
करते हैं ईश्वर से सभी प्रार्थना,
दे सदा,सुख,सौभाग्य,समृद्धि।।

बना रहे हमारा अटूट संबंध,
खिलखिलाती रहे इनकी गृहस्थी।
ताकि महकती रहे हमारी बगिया,
जब_जब आएं विकास और प्रीति।।

वैवाहिक वर्षगांठ की असीम संभावनाएं।

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