गजानन गणपति
लाया तेरे द्वार पोथी |
कलम उठा के लिखूं
छंद एक जोड़ता ||
पूजा विधि जानू नहीं
शास्त्र ज्ञान मुझे नहीं ।
घनाक्षरी शुरू करूँ
नारियल फोडता ||
अज्ञानी हूँ तेरे बिन
विनती ये मेरी सुन |
शरण में चला आया
हठ नहीं छोड़ता ||
वचन जो लिया तूने
वचन जो दिया मैने |
मौली बान्धी हाथ मेरे
उसे नहीं तोडता ||
महेन्द्र जैन ‘मनु’
इन्दौर