
——ये आँसू मेरे दिल की ज़ुबान हैं———
जब लबों पर जगह नहीं मिलती , लफ़्ज़ आँखों में रहने लगते हैं ।
ज़िद्दी हैं हम भी इश्क़ ओ मोहब्बत के मामले में, जब उनके दिल में पनाह नहीं मिलती , तो हम उनके साँसों में रहने लगते हैं ।
वो हमें याद ना करें , ऐसा हम होने ना देंगे , फिर आँसू बन कर उनकी आँखों से बहेंगे ।
हम तो ठान लिया है , हम उनके लिए ही जिएँगे , उनके लिए ही मरेंगे ।
उनके दिल में जगह पाने के लिए , अगर हमें हंगामा भी करना पड़ा , तो बेझिझक करेंगे ।
ये लफ़्ज़ आँखों में रह कर भी मचा सकते हैं तबाही ।
आँसू भी चौबीसों घंटे बह कर दे रहें हैं हमारे प्यार की गवाही , हाय तौबा तो बहुत इन्होंने भी है मचाई ।
ख़ैर उनकी आँखों में रह कर भी मिलता हमें सुकून है , क्यूँकि इश्क़ ही अब है हमारी हक़ीक़त , इश्क़ ही अब हमारा जुनून है !!
कवि——-निरेन कुमार सचदेवा।