ऐ ज़िंदगी तू खेलती रही हमारी ख़ुशियों के साथ , हम भी इरादे के पक्के हैं , जीना नहीं छोड़ेंगे ।
हम टेडे हैं कुत्ते की दुम की तरह , या फिर उस बेवडे की तरह , जो कहता है चाहे कुछ भी हो जाए पीना नहीं छोड़ेंगे !
बहुत ज़िद्दी हैं , हम संघर्ष करना जानते हैं , इंसानों से क्यूँ डरना ,हम खुदा को मानते हैं ।
हम तो छोटी छोटी ख़ुशियों को भी मानते हैं बड़ी , दिवाली ना भी हो , तो भी हम फोड़ते हैं बंब , और जलाते है फुलझड़ी ।
कम हो या ज़्यादा हम हर हाल में ख़ुश हैं , मस्त हैं , लेकिन दिल मैं है तमन्ना आगे बढ़ने की , ज़िंदगी मैं कुछ और करने की ।
ज़िंदगी भी कब तक खेलेगी हमारी ख़ुशियों से , आख़िर एक दिन तो हर जाएगी , ऐसी है हमारी ताक़त ।
मुश्किलों से हम घबराते नहीं कुछ ऐसी है हमारी फ़ितरत ।
ज़िंदगी से हमारी कोई दुश्मनी तो नहीं , ज़िंदगी से हमारे कोई विशेष अनबन तो नहीं , फिर ना जाने क्यूँ पैदा हो गए हैं ऐसे हालात ?
लेकिन हम झूझेंगे और जीतेंगे , इन हालातों को हम देंगे मात ।
एक ना एक दिन होगी ख़ुशियों की बरसात , फिर हम ख़ूब भीगेंगे , बहुत मज़ा आएगा , उस दिन हम चीख़ चीख़ कर कहेंगे , ये ज़िंदगी है इक सौग़ात ।
सुख , दुःख , गिरना , सम्भलना , यह सब ज़िंदगी में होना तो लाज़मी है ।
जब तक बाज़ूओ में दम है , उम्मीदें जागरूक हैं , फिर किस चीज़ की कमी है ?
सब ठीक हो जाएगा , बस ईश्वर का रहम ओ करम चाहिए , और दोस्तों का प्यार क़ायम रहेगा सदियों सदियों तक , ये भ्रम चाहिए ।
हिम्मतें बुलंद हैं तो फिर घबराना क्यूँ , जब हम पाक हैं तो फिर शर्माना क्यूँ ?
बुज़दिली ना समझना तुम हमारी ख़ामोशी को , देख लोगे एक दिन तुम हमारी मदमस्त मदहोशी को !!!

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