
दोहा छंद
नवरात्रि
लो नवरात्रें आ गये , व्रत वाला त्यौहार ।
उत्सव देवी मातृ का , सजता है दरबार ।।१।।
शैलपुत्री माता प्रथम , पूज रहे हैं भक्त ।
माँ ब्रह्मचारिणी कहें , बहा दुष्ट का रक्त ।।२।।
देवी चंद्रघंटा कृपा , मिल जाएगी आज ।
माता कूष्मांडा करें , सफल सभी के काज ।।३।।
करो स्कंदमाता दया , आए हैं हम द्वार ।
मातृ कात्यायनी करें , सब भक्तों से प्यार ।।४।।
माँ कालरात्रि का मिले , हम सबको आशीष ।
कृपा सिद्धिदात्री करें , मिल रहा शुभाशीष ।।५।।
पूज महागौरी सदा , मिलता है सुख-चैन ।
नौ व्रत होते नौ दिवस , शांति मिले दिन-रैन ।।६।।
कन्या-भोज करा रहें , दिन दसवाँ है आज ।
देवी माँ को पूजिए , जग में होगा राज ।।७।।
रावण संध्या को जले , हो दुष्टों का नाश ।
कथनी-करनी एक हो , नहीं तो सर्वनाश ।।८।।
मूर्ति विसर्जन अब करो , ग्यारहवाँ दिन आज ।
अस्त्र-शस्त्र विद्या दिखे , बजे अखाड़े साज ।।९।।
साज – संगीत ।
©® विकास अग्रवाल बिंदल , भारत