
माँ की सुबह की भाग दौड़ को “गुड-माँ-रनिंग” (good morning) कहते हैं ।
और औलाद को माँ की सम्पति , उसके जीवन भर की earning कहते हैं।
जब बच्चे माँ बाप को वृद्धाश्रम भेजते हैं, उसे अंग्रेज़ी में हम day of mourning कहते हैं।
और बच्चों के इस action को हम very disheartening कहते हैं।
अगर सोचो तो माँ बाप का अस्तित्व स्वयं प्रभु से नहीं है कम !!!
बच्चों को वो हर ख़ुशी देते हैं और ख़ुद सह लेते हैं सारे गम।
(इस ऊपर वाली पंक्ति को लिख कर मेरी आँखें हो गयीं नम)
इस बच्चे की मासूमियत को देता हूँ मैं हज़ारों सलाम, क्या ख़ूबसूरत निकाला है उस ने good morning का मतलब।
और उसकी इस लेखनी का माँ के प्रति प्यार ही है सबब।
जब बच्चे बढ़े हो जाते हैं, तो कहाँ खो जाती है ये मासूमियत———-तब क्यूँ शैतानी हो जाती है उनकी फ़ितरत ?
कैसे भूल जाते हैं वो माँ बाप का असीम प्रेम, असीम मोहब्बत?
जवाँ बच्चों से माँ बाप को भी होती है कोई हसरत।
ख़ैर, इन नालायक बच्चों को नहीं पड़ता कोई फ़र्क़——-माँ बाप तो फिर भी ऐसे बच्चों के लिए दुआ ही माँगेंगे——लेकिन मैं चाहूँगा कि ऐसे बच्चे जायें नर्क!!!
और मेरी यही है कामना कि इन लोगों के बच्चे भी इन्हें वृद्ध होने पर इन्हें घर से दें निकाल।
तब इन्हें मालूम पड़ेगा कि वृद्धाश्रम में कैसे होता है हाल बेहाल।
ये मूर्ख बच्चे वृद्धाश्रम में माँ बाप को मिलने भी नहीं आते——-कैसे आसानी से भूल जाते हैं ये सब पुराने रिश्ते नाते?
और लिखने का हूँ मैं इच्छुक, लेकिन अब और नहीं लिख पायूँगा, हो गया हूँ बहुत भावुक।
दिल में भी दर्द है, ज़मीर भी है मायूस और उदास——बेहतर यही है कि बच्चों से रखो ना कोई भी
आस ———!!!!!
लेखक———निरेन कुमार सचदेवा।
Friends, I literally broke down 😭 while writing these few lines !!!!