इश्क़..मोहब्बत, झूठे वादों का पखवाड़ा , तो गुज़र गया———
नफ़रत का पूरा साल अभी बाक़ी है——-!
तो कैसे बितायेंगे ये साल, ये ख़याल अभी बाक़ी है।
अगर गलती से भी हम हो गए उनके रूबरू तो क्या करेंगे हम , ये सवाल अभी बाक़ी है।
लानत है हम पर, मामूली सी नफ़रत को अदभुत मोहब्बत में ना तब्दील कर पाये, ये मलाल अभी भी बाक़ी है।
झूठे थे उनके वादे , लेकिन हमारे तो पक्के थे इरादे।
फिर क्यों पाक पवित्र हार गया बाज़ी, हम उन्हें आख़िर क्यूँ ना कर पाये राज़ी ?
क्या अहसासे नफ़रत का बहुत ऊँचा है अस्तित्व, क्या अहसासे मोहब्बत का अब नहीं रहा कोई महत्व ?
ये है नामुमकिन, है असंभव, नफ़रत पर मोहब्बत की निश्चित है जीत——यही प्रीत की है रीत।
नफ़रत से मोहब्बत का दर्जा है बहुत ऊँचा, मोहब्बत में है ऐसी निहित ऊर्जा।
अगर वो हम से नफ़रत करने की ज़िद पर अड़े हैं——तो हम भी अपनी मोहब्बत का तोहफ़ा लिए उनके दीदार के लिए खड़े हैं।
अब देखते हैं कि मोहब्बत का या फिर नफ़रत का पलड़ा होता है भारी———हमारी क़ातिलाना नज़रें देख , उन पर फ़ौरन छा जाएगी इश्क़ की खुमारी।
फिर महज़ एक ही पल में नफ़रत की होगी शिकस्त——जीतेगी मोहब्बत शान से, नफ़रत पूरी तरह से हो जाएगी ध्वस्त।
फिर बाक़ी का पूरा साल बीतेगा उनकी घनी ज़ुल्फ़ों की छाँव में।
खूब नाचेंगे मिलकर फिर हम दोनों, चाँदी की एक खूबसूरत पायल पहना देंगे उनके पाँव में।
मेरे मौला, मेरे मालिक, हम इंसानों की ज़िंदगानियों में तू भर दे हसरत की असीम चाहत ।
और वो भी इतनी कि हर इंसानी दिल में पनपे मोहब्बत ही मोहब्बत, मोहब्बत ही
मोहब्बत———-!!!
हर दिल में हो फिर मोहब्बत की मलकियत, हर दिल में राज करे स्नेह , प्रेम ——-हर दिल में बसी हो मोहब्बत की एक अजब ओ ग़ज़ब सल्तनत———!!
लेखक——— निरेन कुमार सचदेवा।
True love ❤️ knows no limitations, has no boundaries, that’s absolutely 👍 sure
Posted inArticles