आज उसने,जाति को आस्था से जोड़ दिया
एक धर्मात्मा ने,सबकी आंखों को फोड़ दिया
सोच रहा हूं,क्या सोच कर बोला ये सब
ऊपरवाले के होने को ही झिंझोड़ दिया
धर्म,मजहब के नाम,इतना भी क्या उछलना
कि,मर्यादा का हर बंधन झट से तोड़ दिया
श्री राम भी कहीं बैठे सोचते होंगे शायद
उनके भक्तों ने,उनका नाम ही मरोड़ दिया
वैसे,शत् शत् नमन आपको है महात्मा जी
आपने,इंसान को जातियों की ओर मोड़ दिया
डॉ विनोद कुमार शकुचंद्र
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