
मनोज बैंगलोर में एक बहुत बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत होता है। जब वह घर से ऑफिस के लिए निकल रहा होता है तो उसकी पत्नी कहती है_ ”ए जी आई ना रउआ तनि जल्दी घरे आ जाईब। माई खातिर कुछ अउर समान छुटल सब खरीदे के बा”
मनोज ’अच्छा!’ कहकर चला जाता हैं। मनोज जब बाॅस को कहता है” सर कल से मैं एक हफ्ते तक नहीं रहूँगा,इसलिए मैंने सारे अधूरे काम को पूरा कर दिया है। मैं छठ में घर जा रहा हूं।’ बाॅस झल्ला उठता है और कहता है ’तुम लोगों को छुट्टी के अलावा और कुछ समझ नहीं आता! इतना वर्क लोड है, छुट्टी नहीं मिलेगी।’
मनोज बोला’पर आपने तो परमिशन दी थी।’ बाॅस ’अब मना कर रहा हूं न!बस।’
मनोज ने बड़ी नम्रता से उत्तर दिया’सर मैं आपके यहां काम करता हूं, पर आपका गुलाम नहीं हूँ। आप एक बिहारी को पूरे साल इंतजार करने के बाद भी दिवाली पर बोनस नहीं दो चलेगा, आठ घंटे की जगह अट्ठारह घंटे का काम करवा लो चलेगा,इज्ज़त के बदले गालियां दो वो सब भी वो बर्दास्त कर लेगा क्योंकि पेट का सवाल है, मगर आपने यदि किसी बिहारी को छठ में उसके घर नहीं जाने दिया तो वो बर्दास्त नहीं करेगा, क्योंकि माँ का सवाल है। डाला तो हम ढोके ही रहेंगे। बाॅस ने तुनक कर कहा’और बिना छुट्टी वो कैसे करोगे तुम?’
मनोज ने बाॅस के टेबल से एक पेन पेपर लिया और कुछ लिखकर बाॅस के सामने रख दिया।
बाॅस ने झल्लाते हुये कहा’इस्तीफा,,,,,!’ जानते हो इसका परिणाम। भूखे मरोगे! नौकरी मिलना इतना आसान नहीं।’ इस पर मनोज ने हँसते हुए कहा
’छठी मैया की महिमा महान !
नौकरी भी मिलेगी और अगले
साल पांच हाथी और बिठाएगें।
अच्छा सर!चलता हूं।’
बाॅस मनोज के आत्मविश्वास को जड़वत होकर देखता रह गया।
घर आने पर पत्नी ने कहा_ ’ऐ जी छठी मईया खातिर एगो सूप अऊरो ले लेय जाई।’
मनोज का उत्तर ना पाकर उसने पति से कारण पूछा। सारी बात जानने के बाद पत्नी ने कहा’ ए जी रऊआ तनिको चिंता ना करी। देखब रऊआ, जरूर कुछ बहुते बढ़िया होखे वाला होई। ई सब छठी माई के जांच बा।’ तभी दरवाजे पर दस्तक हुई और दरवाजा खोला तो सामने बाॅस खड़े थे। मनोज का मन अनगिनत आशांकाओं से ग्रसित हो उठा। बाॅस ने कहा’मनोज ज्यादा पढ़_ लिख लेने के कारण शायद मैं कुछ ज्यादा ही भौतिकवादी हो गया हूं।नास्तिक होने की वजह से मैं इन चीजों में विश्वास नहीं रखता। मगर तुम्हारे अटूट विश्वास और छठ के प्रति श्रृद्धा ने मुझे भी नतमस्तक कर ही दिया। एक इंसान नौकरी पाने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगाता है और उसी नौकरी को अगर छठ पर्व के लिए वो एक झटके में छोड़ सकता है, इस विश्वास के साथ कि छठी मैया दूसरी नौकरी अवश्य देंगी, तब तो जरूर असीम शक्ति होगी छठी मैया में।ये लो चेक इस बार के छठ का पूरा खर्चा मेरी तरफ से। और हां! मैंने भी कल की फ्लाइट की टिकट ले ली है। इस बार मैं भी तुम्हारे साथ वो ढोऊंगा क्या कहते हैं उसे?’
तभी सब एक स्वर में बोलते हैं_ ’डाला!’ ’छठी मैया की जय’ से कमरा गूँज उठता हैं।
जय छठी मैया🙏🏼
Wah wah bhaut bhaut khoob 👌👌👌👌👌✍️✍️
Jai chhathi maiya 🌷👏🙏💐