इक घर बनाना चाहता हूँ उसके घर के सामने-“निरेन कुमार सचदेवा”

मुझे अपने दिल की धड़कन भी अब लगने लगी है पराई, क्या किसी और दिल की धड़कन भी है अब इस धड़कन में समाई——?
पहले जैसी नहीं है मेरे दिल की धक धक , इसकी धक धक में हो गई है कोई मिलावट——-शायद इस में समा गई है अब अहसासे इश्क़ की आहट——-!
शायद इसीलिए अब ये धक धक हो गई अब कुछ ज़्यादा मधुर, बहुत बदल से गये हैं अब इसके स्वर।
मिज़ाज भी आजकल है कुछ ज़्यादा आशिक़ाना, अन्दाज़ भी आजकल है कुछ ज़्यादा
शायराना ।
एक राज़ की बात बताऊँ, एक माहजबीन से गुफ़्तगू करने का ढूँढता हूँ अब कोई बहाना।
उसकी सहेलियाँ अक्सर कहती हैं, कि उस माहजबीन ने मुझको बना दिया है दीवाना।
ये मेरा पहला अनुभव है प्यार का, हमेशा इंतज़ार रहता है दीदारे यार का।
रोमांटिक गीत सुनने में अब है रुचि, ज़िन्दगी में मच गई है एक अजब सी खलबली ।
अब आप से क्या छुपाना, उसके रूबरू होने पर मौसम भी हो जाता है सुहाना ।
यार लोग मुझे बुलाते हैं , मजनू की औलाद——-आह काश उसे भी लोग लैला बुलायें, यही उस रब से है मेरी फ़रियाद।
महज़ दो ही बार उस से हुईं हैं आँखें चार——-और फिर बहुत बदल गया मेरा संसार।
तमन्नाएँ, भावनाएँ अब मचा रहीं हैं शोर——इंतज़ार रहता है कि कब होगी भोर।
और भोर होते ही कदम मुझे ले जाते हैं उस जगह, उस ओर।
जिस जगह पर उसका आशियाना है, मुझे अब उसके घर के सामने एक घर बनाना है।
और उसके माता पिता को भी रिझाना है और मनाना है।
उनकी बेटी को मुझे से लगाव है, इस बात का है उनको अंदेशा।
बस बहुत जल्दी मैं भी उन्हें भेजने वाला हूँ एक सन्देशा।
अब दो तन मन एक हो जाना चाहते हैं, ज़िन्दगी भर का साथ निभाना चाहते हैं।
दो दिलों का तो हो ही चुका है मेल, अब दो रूह मिल जायें , इसकी है मुझे चाह।
वो तो मेरे दिल की धड़कनों में बस रही है, मैं यही चाहता हूँ कि उसके दिल के किसी कोने में मिल जाये मुझे भी पनाह————-!
लेखक———निरेन कुमार सचदेवा।
Love ❤️ is an unparalleled emotion .

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