इश्क़ कीजिए ,और ज़िन्दगी के मज़े लूटिये-“निरेन कुमार सचदेवा”

सबसे खूबसूरत अल्फ़ाज़ इनकी आँखों में निहित हैं, इनकी आँखों के समुंदर की गहराई असीमित है।
हूँ तो मैं एक टूटा फूटा शायर, लेकिन महज़ एक नज़र——और देख लिया मैंने इनकी आँखों के भीतर एक अथाह समुन्दर।
और फिर डूब गया——कुछ उस समुन्दर की लहरों में , कुछ इनकी ज़ुल्फ़ों के पहरों में।
नतीजा ये कि लिख रहाँ हूँ मैं ये चंद पंक्तियाँ——इनकी आँखों में छिपी हुईं हैं कुछ अजब शक्तियाँ।
कुछ अजब ही मज़ा है इस समुन्दर की गहराईंयों में——-बेतहाशा डूब गया हूँ मैं अब अहसासे इश्क़ की परछाईयों में।
सच कहूँ तो मिला बहुत सुकून, ऐसी गहराईयों में डूबने का कुछ अलग ही है जुनून।
नहीं मालूम था कि ये इश्क़ का समुन्दर होगा इतना नशीला——महज़ कुछ ही पलों में हो गया हूँ मैं रंगीला।
शांत है ये समुन्दर , पानी भी है ठहरा ठहरा , और समुंदर भी है बहुत गहरा।
बस बाक़ी की बची ज़िन्दगी , मैं इस समुंदर में हूँ चाहता बिताना।
मालूम नहीं था कि इतनी जल्दी बन जायूँगा मैं एक दीवाना।
चढ़ चुकी है मेरे दिल ओ दिमाग़ पर अब इश्क़ की जुनूनियत——सच पूछो तो इश्क़ ही है ज़िन्दगी की असलियत।
मेरे ख़ुदा, तेरा शुक्राना, तूने हम इंसानों को दिया है ये
तोहफ़े मोहब्बत———!
लेखक——निरेन कुमार सचदेवा

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