रंग इश्क़ के क्या जाने , योगी , पीर , फ़क़ीर——-ये तो बस मीरा जाने या फिर जाने हीर——-!?
इश्क़ पूरी तरह से बदल देता है , ख़ुशनुमा बना देता है ज़िन्दगी की तस्वीर।
इश्क़ कर के देखो, फिर इन्द्रधनुषी रंगों से , निखर जाएगी आपकी तक़दीर।
इश्क़ योगी को भी बना सकता है भोगी, एक साधारण इंसान को बना सकता है रोगी।
क्योंकि इश्क़ है एक अजब बीमारी, इस में छिपी रहती एक विशेष खुमारी।
मीरा थी कृष्ण की दीवानी, इसीलिए मीरा की ज़िन्दगानी थी रूहानी।
यक़ीनन कोई तो ख़ास बात होगी, इसीलिए तो लोग आज भी याद करते हैं मीरा की प्रेम कहानी।
हीर और रांझा, बहुत मज़बूत थी इनके इश्क़ की डोर, बेहद ताक़तवर था इश्क़ का माँझा।
मजनू को हर तरफ़ लैला ही दिखती थी, लैला उस के रोम रोम में बसती थी।
शीरी और फरहाद के इश्क़ को आज भी लोग करते हैं याद।
इश्क़ की दुनिया है बड़ी मस्तानी, इसीलिए तो इस करामाती इश्क़ की है पूरी दुनिया दीवानी।
इश्क़ में है वो ताक़त, इस के आगे नहीं अहम है पैसा , ना कोई सल्तनत।
सलीम के रुतबे के आगे क्या थी अनारकली——-फिर भी सलीम के दिल में इश्क़ के कारण प्रीत की कली थी खिली।
सोचो तो उस ख़ुदा ने हम इन्सानों को जो दी है इश्क़ की ये सौग़ात——-इश्क़ है तो ही तो हैं ज़िंदा अहसास और जज़्बात।
किसी ने मजनू से पूछा, क्या काम हो करते——-तो उसने कहा , काम करने की फ़ुरसत कहाँ——हम तो चौबीसों घंटे लैला के नाम की माला हैं
जपते——!
इश्क़ करना तो करना शिद्दत से , इस अहसास को हमेशा रखना पाक और पवित्र।
कभी भी फिर दागदार ना हो आपका चरित्र।
इश्क़ महकाता है कुछ यूँ ज़िंदगानियों को——इधर इश्क़ हुआ, उधर वातावरण में छा जाती ख़ुशबू ऐ
इत्र———!
लेखक——निरेन कुमार सचदेवा।
Love is Almighty”s greatest gift
to . mankind
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