अगर तुम दर्द महसूस कर सकते हो तो तुम यक़ीनन ज़िंदा हो—-
लेकिन अगर तुम किसी और का दर्द महसूस कर सकते हो , तो तुम चुनिंदा हो——-
नसीहत है मेरी, रहो चुनिंदा, फिर अपने आप से कभी भी ना होना पड़ेगा शर्मिन्दा।
पूछो क्यूँ, क्योंकि फिर तुम्हें अपने आप पर गर्व होगा——अगर किसी ज़रूरतमंद की मदद करोगे———तो हर दिन एक पर्व होगा।
किसी के काम आकर , मिलेगी तुम्हें अपार ख़ुशी।
और जिस मार्ग का तुमने चयन किया है, वो मार्ग है सही।
आज मुझे याद आ रहा है वो मशहूर पुराना गीत——अपने लिए जिये तो क्या जिये, तू जी ऐ दिल ज़माने के लिए——।
किसी के दुःख बाँटना , किसी को सांत्वना देना, ये काम नहीं है आसान।
जो ऐसा करता है , निश्चित महान है वो इंसान।
किसी के आंसू पोंछना, किसी मजबूर को गले लगाना।
ऐसा कर, अपने ज़मीर को दिया हुआ वचन निभाना।
ज़मीर हरेक का होता है पाक और पवित्र, ज़मीर यही शिक्षा देता है कि बनो सब के मित्र।
ऐसा कर तुम वातावरण में फैलाओगे प्रेम प्रीत और स्नेह का ख़ुशबू ऐ इत्र।
तो पल्ले आज बाँध लो मेरी ये नसीहत, कि बनो इंसान नेक़दिल और दरियादिल——और हर प्राणी से करो प्यार और मोहब्बत ——-!
लेखक——-निरेन कुमार सचदेवा।
Always extend a helping hand 🤚 to the needy my dears.
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