कुछ है जो अधूरा है
जीवन का ,
हर एक सपना,
पूरा है l
फिर भी,
न जाने क्यों ?
यह लगता है l
सब कुछ ,
होते हुए भी ,
कुछ है,
जो अधूरा है l
जीवन में ,
इज्जत -शोहरत ,
धन -दौलत ,
सब कुछ मिला l
नहीं है ,
किसी से ,
कोई गिला l
फिर भी,
न जाने क्यों ,
यह लगता है ?
कि अब तक
जो मिला है l
उसमें कुछ
तो है ,
जो अधूरा है l
भले ही,
जीवन का,
हर एक ,
सपना पूरा है —-
विजय कुमारी सहगल
बिलासपुर ,
हिमाचल प्रदेश l
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