कोशिश करो ख़ुशियाँ फैलाने की-“निरेन कुमार सचदेवा”

विडम्बना ये है कि इस दुनिया में मोहब्बतों की हद है , नफ़रतों की नहीं , दोस्ती की हद है , दुश्मनी की नहीं , ख़ुशी की हद है , गमी की नहीं , दर्द की हद है , बेदर्दी की नहीं !
आख़िरकार किस तरह की ज़िंदगी जीते हैं हम बाशिंदे , तरीक़ा ग़लत है ,या फिर है सही ?
अक्सर हम कहते हैं , दोस्त दोस्त ना रहा , क्या कभी ये भी कहते हैं , दुश्मन दुश्मन ना रहा , आख़िर दिल हैं क्यूँ इतना मैला , नफ़रत का ज़हर क्यूँ इस तरह है फैला ?
किस हद तक जा सकता है कोई मोहब्बत की हद में , पागलपन की हद तक , वहशीपन की हद तक , या फिर होती ही नहीं है कोई हद , लेकिन नफ़रत में यक़ीनन इतना विष होता है कि कोई भी इंसान हो सकता है बेहद ।
आख़िर क्यूँ हैं हम इंसान इतने ख़तरनाक , ऐसा लगता है मानो नफ़रत का आ गया हो ज़लज़ला , हम दुश्मन की ले सकते हैं जान भी , दाव पर लगा सकते हैं , अपना ज़मीर भी , अपना ईमान भी !
इतनी बेदर्दी क्यूँ , क्यूँ हो जाते हैं हम इतने बेसब्रे , हो जाते हैं इतने उतावले , और कश्मकश ये कि मोहब्बत में हो जाते हैं हम मतवाले !
दुश्मनी में इंसान लगा देते है हर चीज़ दाव पर,और घाव ऐसे देते हैं कि जिनका जिंदगानियों पर होता है भरपूर असर ।
या खुदा , तू तो जानीजान है तेरे लिए कुछ भी नहीं है मुश्किल , सब है सहल , सब है सरल ।
मौला मेरे , तू एक ऐसी नई dictionary बना दे , जिसमें ना हों ये शब्द ,दुश्मनी और नफ़रत , और हर पन्ने पर लिखा हो , प्यार , प्रेम , मोहब्बत और चाहत !
चलो हद पार करते हैं , लेकिन सिर्फ़ अहसासे मोहब्बत फैलाने में ,इस कायनात को और ख़ूबसूरत बनाने में !
हदें पार करना है क़ाबलियत , बशर्ते कि सीमा पर लिखे हुए हों ये शब्द , मासूमियत और शराफ़त !
तो फिर क्या ज़रूरी है , ज़रूरी है उस हद तक कभी भी ना पहुँचे , जहाँ सीमा पर लिखे हों ये शब्द , हैवानियत और नफ़रत !
लेखक——निरेन कुमार सचदेवा
Be limitless , set no boundaries , the deal is that you should be spreading goodness and happiness !!

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